दूध डेयरी, सब्जी और किराने की दुकान पर सबसे ज्यादा पॉलिथीन की खपत
नर्मदापुरम। पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली प्लॉस्टिक-पॉलीथीन के प्रतिबंध के बाद भी शहर में उपयोग हो रहा है। अमानक पॉलीथीन का रिसाइकल नहीं किया जा सकता है जो पर्यावरण को प्रदूषित करती है। दो साल पहले 1 जुलाई 2022 को भारत सरकार ने सिंगल यूज या एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक के सामानों पर प्रतिबंध लगाया है इसके बावजूद निर्देशों का पालन सही ढंग से न होने के कारण दूध डेयरी, फल-सब्जी विक्रेता, किराना, शॉपिंग मॉल, दुकानों सहित नर्मदा नदी के घाटों पर दुकानदार सिंगल यूज प्लास्टिक-पॉलीथीन में सामान बेंच रहे है। प्रतिबंध के बाद भी शहर में बड़े पैमाने पर अमानक स्तर की पॉलीथीन का क्रय-विक्रय किया जा रहा है। प्रतिदिन इस्तेमाल हो चुकी पॉलीथीन कचरे के रूप में सडक़ों पर फेंकी जा रही है जिसको खाकर मवेशी भी बीमार हो रहे है। नालियों में फेंकी जाने वाली पॉलीथीन भी नाली चौक होने से पानी निकासी में भी दिक्कत होती है। वहीं नर्मदा नदी के घाटों पर श्रृद्धालओं द्वारा की जाने वाली प्लास्टिक, पॉलीथीन के उपयोग से मां नर्मदा प्रदूषित हो रही है। नगर पालिका समय समय पर अभियान चलाकर पॉलीथीन जप्त कर जुर्माना लगाने की कार्यवाही तो करती है लेकिन देखा जाएं तो अधिकतर कार्यवाही सब्जी विक्रेताओं, ठेले पर फल-सब्जी बेंचने वालों और छोटे दुकानदारों तक ही सीमित होकर रह जाती है जिसके चलते बड़े किराने की दुकान, मॉल और दूध डेयरी पर अमानक पॉलीथीन का उपयोग बेखौफ हो रहा है। जिससे नगर पालिका की कार्यवाही सार्थक नजर होती नहीं आ रही है।
दूध डेयरी पर हो रहा पॉलीथीन का इस्तेमाल
दूध डेयरी पर बिकने वाले अधिकतर खाद्य सामग्री दूध, दही, मही, पनीर आदि का विक्रय पॉलीथीन में किया जाता है। प्रतिदिन दूध डेयरी से सुबह-सुबह (प्रात: 6 से प्रात: 8 बजे तक) दूध अमानक पॉलीथीन में पैक कर हजारों घरों तक पहुंचाया जाता है। इसी प्रकार दिनभर संचालित होने वाली दूध डेयरी से खाद्य सामग्री पॉलीथीन में बेंची जाती है। अधिकारियों के कार्यालयीन समय से पहले ही बड़ी संख्या में अमानक पॉलीथीन की खपत हो चुकी होती है।
नर्मदा नदी और घाटों सहित भंडारों में इस्तेमाल हो रही प्लॉस्टिक
यह बड़ी विडंबना है कि जिस नर्मदा नदी को मां कहकर पुकारते है लोग उसी में पॉलीथीन के कचरे को प्रवाहित कर देते है। घाटों से लेकर नर्मदा नदी की धार तक पॉलीथीन नजर आती है। नगर पालिका ने नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर पॉलीथीन को प्रतिबंध किया था लेकिन समय बीतने के साथ-साथ पुन: सेठानी घाट सहित अन्य घाटों पर फिर से पूजन सामग्री बेचने के लिए पॉलीथीन का उपयोग दुकानदार कर रहे है। नर्मदा नदी के घाट के किनारे आयोजित होने वाले भंडारों में भी कुछ लोग प्लॉस्टिक के सामानों का इस्तेमाल करते है जो बाद में कचरे के रूप में देखा जा सकता है। प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते मां नर्मदा के शीतल और पावन जल को प्रदूषित किया जा रहा है।
कचरे के ढेर में देखी जा सकती है पॉलीथीन
शहर के अधिकतर स्थानों पर कचरे के ढेर में पॉलीथीन देखी जा सकती है। नगर पालिका द्वारा प्रतिदिन जो कचरा उठाया जाता है उसमें अधिकांश पॉलीथीन दिखती है। जिसको नगर पालिका ट्रेचिंग ग्राउंड में फेंकती है जिसमें आग लगने पर उठने वाला धुंआ जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होता है। वहीं लोगों द्वारा पॉलीथीन में फेेंकी जाने वाली खाद्य सामग्री को मवेशी खाकर बीमार हो जाते है। पॉलीथीन का उपयोग से गाय, आवारा पशुओं के साथ-साथ पर्यावरण को भी खतरा है। शासन द्वारा सिंगल यूज प्रतिबंध के बावजूद प्रतिदिन शहर में हजारों लाखों रूपए की पॉलीथीन का कारोबार किया जा रहा है जिस पर प्रशासन की लापरवाही के चलते अंकुश नहीं लग पा रहा है।
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